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LOVE- ATTRACTION AND DEDICATION

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प्रेम - आकर्षण और समर्पण प्रेम एक अलौकिक और अध्भुत अभिव्यक्ति है जिसका समबंध जीवन   के प्रत्येक पहलू से है।   कहते हैं कि आकर्षण और प्रेम दोनों भिन्न चीज़ें हैं , दोनों में बहुत अंतर है , आकर्षण   को प्रेम नहीं कह सकते क्यूंकि प्रेम की पूर्णता तो समर्पण से होती है न कि आकर्षण से। आकर्षण को कभी भी प्रेम नहीं कहा जा सकता और बिना समर्पण के कोई प्रेम अपनी   पूर्णता को कभी प्राप्त नहीं कर सकता चाहें वो प्रेम मानवों के बीच हो ,   पशु और पक्षियों के बीच हो अथवा सजीव प्रकृति वाले लोगों का निर्जीव वस्तुओं हो।   आकर्षण प्रेम के प्रारम्भ की प्रथम   सीढ़ी है और आकर्षण के बाद ही प्रारम्भ होने वाला लगाव समर्पण की सीमा तक जाकर प्रेम की परिणीति को पूर्णता प्रदान करता है । आकर्षण समर्पण की सीमा तक का सफर तय कर पायेगा या नहीं ये पूर्ण रूप से दो प्रेम करने वाले अथवा आकर्षण को प्रेम समझने वाले व्यक्तियों के आपसी भावनात्मक संब...

MUSIC- THE FOOD OF SOUL

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।। संगीत आत्मा का भोजन ।। संगीत को आत्मा का भोजन इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसकी धुनें चाहें गीतों के साथ हों या अकेले ही वाद्य यंत्रो से निकल कर वातावरण में गूंजे हर हाल में मन और आत्मा दोनों को ही तृप्ति प्रदान करती हैं। यद्यपि संगीत और गीत दोनों ही एक दुसरे के पूरक हैं क्यूंकि संगीत की अकेली धुनें भले ही मन को तरंगित कर दें परन्तु वहां गीतों का अभाव सदा ही खलता है और इसी प्रकार कोई भी गीत चाहें कितने भी मधुर कंठ वाले गायक के द्वारा गया जा रहा हो बिना संगीत के उस गीत का श्रृंगार अधूरा ही रहता है। सच्चे अर्थों में तो पूर्ण संगीत सुर और गीतों के संगम को ही कहा जाता है किन्तु इस सत्य से भी कभी इंकार नहीं किया जा सकता है कि संगीत का प्रभाव सदा ही गीत की तुलना में अधिक प्रभावशाली होता है। आप यदि गीत - संगीत सुनने के शौकीन हैं तो आप कोई भी धुन बिना किसी गीत के जयादा समय तक सुन सकते हैं और उन धुनों का अनुकरण करते ...