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संगीत आत्मा का भोजन है। लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

MUSIC- THE FOOD OF SOUL

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।। संगीत आत्मा का भोजन ।। संगीत को आत्मा का भोजन इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसकी धुनें चाहें गीतों के साथ हों या अकेले ही वाद्य यंत्रो से निकल कर वातावरण में गूंजे हर हाल में मन और आत्मा दोनों को ही तृप्ति प्रदान करती हैं। यद्यपि संगीत और गीत दोनों ही एक दुसरे के पूरक हैं क्यूंकि संगीत की अकेली धुनें भले ही मन को तरंगित कर दें परन्तु वहां गीतों का अभाव सदा ही खलता है और इसी प्रकार कोई भी गीत चाहें कितने भी मधुर कंठ वाले गायक के द्वारा गया जा रहा हो बिना संगीत के उस गीत का श्रृंगार अधूरा ही रहता है। सच्चे अर्थों में तो पूर्ण संगीत सुर और गीतों के संगम को ही कहा जाता है किन्तु इस सत्य से भी कभी इंकार नहीं किया जा सकता है कि संगीत का प्रभाव सदा ही गीत की तुलना में अधिक प्रभावशाली होता है। आप यदि गीत - संगीत सुनने के शौकीन हैं तो आप कोई भी धुन बिना किसी गीत के जयादा समय तक सुन सकते हैं और उन धुनों का अनुकरण करते ...