श्री राम मंदिर का शिलान्यास।
।।भव्य मंदिर मेरे भगवान् का।।
जैसे जैसे जुलाई का महीना बीता है और अगस्त अपने आगाज की और बढ़ा है वैसे वैसे मन में बहुत ही उल्लास और उमंग के भाव नित्य जन्म लेते चले जा रहे हैं। आखिर बहुत वर्षों के बाद वो शुभ घडी आने जा रही है जब भगवान् श्री नारायण ने क्षीर सागर को छोड़कर पृथ्वी पर सरयू नदी के तट पर बसी पापों का नाश करने वाली पुण्य भूमि पर त्रेता युग में इक्ष्वांकु वंश के चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राजकुमार राम के रूप में जन्म लिया था और जीवन पर्यन्त एक राजकुमार से लेकर एक राजा तक के सभी कर्तव्यों का पालन सदा ही शास्त्र और नीति के साथ किया। इसलिए ही राजा राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में सदा ही जाना जाता है।
जब से होश संभाला है तब से ही अयोध्या और भगवान् राम के वारे में सुनता आ रहा हूँ। बाल्यकाल से ही बहुत कुछ देखता आ रहा हूँ जैसे कि १९९२ के दंगे। कार सेवकों और अनेकों संतों का बलिदान । आखिर राम मंदिर के लिए कितने ही लोगों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया कितने ही पिता संतान विहीन हो गए और कितनी ही माताओं ने अपने लाल खो दिए, न जाने किंतने बच्चे अनाथ हो गए और न जाने कितनी सुहागने वैधव्य को अपनी नियति बनाने को विवश हो गई। आखिर कैसे भुलाया जा सकता है उस बीभत्श दुर्घटना को जिसे ये देश गोधरा काण्ड के नाम से जानता है जिसमें कुछ अधर्मियों ने अयोध्या से लौटते हुए कारसेवकों को एक योजना के तहत सावरमती एक्सप्रेस के एक से दो कोच में एकत्रित करके उन कोचों में आग लगा दी थी। धू-धू करके जलते हुए उन कोचों में न जाने कितने कारसेवक और महिलायें और बच्चों को तड़प तड़प के अपने प्राण त्यागने पडे। परन्तु दुर्भाग्य से इस देश कि राजनीति ने सिर्फ तुष्टीकरण की खातिर राम मंदिर के निर्माण को एक विवादित मुद्दा बना दिया और कई वर्षों तक ये मुद्दा न्यायलय के निर्णय के अधीन पड़ा ही रहा। आखिर काफी लम्बी भागदौड़ और संघर्षों के पश्चात न्यायलय ने इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया और त्वरित कार्यवाही निश्चित की। ९२ वर्षीया श्री के पारासरन जी ने राममंदिर के अधिवक्ता के रूप में अपनी और से मजबूत दलीलें प्रस्तुत की और अंत में जाकर सनातन धर्म की विजय हुई।उच्चतम न्यायलय के तीन नयायधीषों की पीठ ने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में अपना निर्णय दिया और इस प्रकार काफी लोगों के बलिदान और कई दशकों के एक लम्बे संघर्ष बाद आखिर भगवान् श्री राम चंद्र जी के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो ही गया।
आगामी पांच अगस्त कि तिथि न केवल सभी राम भक्तों के लिए एक बहुत शुभ दिन है बल्कि ये एक प्रकार से देव दीपावली ही है। जिस दिन भगवान् राम के भव्य मंदिर की आधारशिला गणमान्य जनों की उपस्तिथि में आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी के करकमलों के द्वारा रखी जाएगी और उसका सीधा प्रसारण न केवल भारत बल्कि विश्व के कई राष्ट्रों के राष्ट्रीय चैनलों पर किया जायेगा जिसमें कि विश्व शक्ति के रूप में मान्य राष्ट्र अमेरिका के द्वारा तो टाइम्स स्क्वायर पर विशेष तैयारियों के द्वारा किया जायेगा वो वाकई न केवल हिन्दुस्तान वरन सम्पूर्म्ण विश्व के रामभक्तों के लिए एक अत्यंत गौरवशाली पल होगा।
भगवान् श्री राम चंद्र जी न केवल एक राजा थे वल्कि वो सभी मानवों के लिए एक महान आदर्श थे उनकी कीर्ति और यश इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड में सदा सदा अमर रहेगा। आधारशिला रखने के बाद बहुत ही शीर्घ मंदिर के पूर्ण होने की इच्छा हृदय में लिए हम प्रतीक्षा करेंगे उस पावन घडी का जब हम स्वयं अयोध्या जाकर पतित पावनी माता सरयू के जल में स्नान करेंगे और उनके जल से आचमन करके अपने आराध्य भगवान् श्री राम चंद्र जी के मंदिर में उनके दर्शन माता जानकी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुधन और रुद्रावतार बजरंगवली हनुमान के साथ करेंगे।
||जय श्री राम||
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